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उच्च शिक्षा पर ख़तरे और अन्यायपूर्ण भेदभाव के ख़िलाफ़ सर्व आदिवासी समाज युवा प्रभाग ने राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन

संवाददाता महेश कश्यप। 
बस्तर (छत्तीसगढ़)। दिनांक 20/12/2023, सर्व आदिवासी समाज विकास खण्ड ईकाई बस्तर द्वारा महामहिम राष्ट्रपति के नाम से अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) विकास खण्ड बस्तर को ज्ञापन सौंपा गया। जिसमें मांगे इस प्रकार है - विश्वविद्यालय किसी भी देश और समाज की बुनियाद होते हैं। विश्वविद्यालयों को किसी भी एक विचारधारा, सरकार, जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र का न होकर सभी का होना होता है।
विश्वविद्यालय का ‘विश्व’ इन्हें वैश्विक ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान, विमर्श, संवाद का केंद्र बनाता है। भारत के संविधान की प्रस्तावना के मूल न्याय, समता, बंधुत्व के मूल्यों पर ही उच्च शिक्षा का वजूद होना चाहिए। मगर मौजूदा दौर में उच्च शिक्षा के केंद्र इन विश्वविद्यालयों पर कई तरह के ख़तरे आन पड़े हैं। हम भारत के नागरिक इन ख़तरों की तरफ़ आपका ध्यान आकर्षण कराते हुए निम्नलिखित मांग करना चाहते हैं। (1) देश भर के विश्वविद्यालयों पर एक विचारधारा को थोपा जा रहा है, जिससे उच्च शिक्षा का स्वायत्त, निष्पक्ष, तटस्थ, समावेशी व संविधान पर आधारित चरित्र नष्ट हो रहा है। (2) विश्वविद्यालयों में प्रोफ़ेसरों की नियुक्ति प्रक्रिया बेहद भेदभावकारी, अपारदर्शी और भ्रष्टाचारी है। जिसके चलते वास्तविक प्रतिभा का हनन हो रहा। कम प्रतिभावान लोगों के हाथों विद्यार्थियों का भविष्य संकट में है। बिहार, यूपी में नियुक्ति प्रक्रिया ज़्यादा पारदर्शी व न्यायप्रिय है। योग्यता को परखने की पात्रता अर्थहीन है। इसलिए नियुक्ति प्रक्रिया तत्काल बदली जाए। (3) केंद्रीय विश्वविद्यालयों के भीतर हर स्तर पर जातिगत, लैंगिक और अन्य कई क़िस्म के शोषण व भेदभाव बदस्तूर जारी हैं, जिसके चलते देश भर के विश्वविद्यालयों से वंचित शोषित जमात के विद्यार्थियों, शोधार्थियों और प्रोफ़ेसरों के साथ अनवरत अन्याय हो रहा है। (4) सरकार व एक विचारधारा विशेष के प्रभाव में पाठ्यक्रम बदले जा रहे हैं, पीएचडी एडमिशन तक में घोर धांधली की जा रही है, विद्यार्थियों की सीटों व फ़ेलोशिप में कटौती हो रही, फ़ीस बेतहाशा बढ़ाई जा रही है, उच्च शिक्षा का क्रमिक निजीकरण किया जा रहा है। (5) अभी हाल ही में दिल्ली विश्वविद्यालय से तक़रीबन एक हज़ार से ज़्यादा बेहद प्रतिभावान, अनुभवी शिक्षकों को नौकरी से निकाल दिया गया है। जो बेहद आपत्तिजनक है। (6) शिक्षकों को ठेके पर रखकर विश्वगुरु बनने का ख़्वाब देखा जा रहा है, जो बेहद ख़तरनाक है। छात्र शिक्षक अनुपात के वैश्विक मानक के तहत सभी पदों पर स्थाई नियुक्ति हो। ओर उन्होंने यह भी कहा, सर्व आदिवासी समाज बस्तर उक्त तमाम विषयों को लेकर बेहद चिंतित हैं और इसे लेकर आपसे निवेदन करना चाहते हैं कि तत्काल आप कुछ ठोस क़दम उठाएं और उच्च शिक्षा को बचाए। महामहिम सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति भी हैं और भारत की प्रथम नागरिक भी। भारत के हम आम नागरिक आपसे गुज़ारिश करते हैं कि यदि उच्च शिक्षा किसी सरकार या किसी एक विचारधारा की गिरफ़्त में चली जाएगी, तो ये पूरे समाज और देश का नुक़सान होगा। सर्व आदिवासी समाज बस्तर आपसे गुज़ारिश करता हैं कि आप इस बेहद गंभीर मसले को गंभीरता से लें। इस दौरान सर्व आदिवासी समाज विकास खण्ड बस्तर के युवा प्रभाग अध्यक्ष लखेश्वर कश्यप, सचिव ओमेश्वर कश्यप, सामान्य प्रभाग उपाध्यक्ष गोवर्धन बघेल, कमलेश कश्यप, बंसी मौर्य, दामु कश्यप पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित रहे।

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