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सुतियाम्बे गढ़ मुडहर पहाड़ को बचाने को लेकर आदिवासी समाज द्वारा विशाल जनसभा

संवाददाता अशोक मुंडा।

सुतियाम्बे/रांची (झारखंड)। दिनांक 17/03/2024, झारखण्ड के रांची से 15 किमी स्थित महाराजा मदरा मुंडा धर्म स्थल मुडहर पहाड़ सुतियांबे गढ़ को "पहाड़ बचाओ अभियान समिति, रांची के आह्वान पर राज्य के विभिन्न आदिवासी संगठनों के द्वारा मुंडाओं के पूर्वज महाराजा मदरा मुंडा के ऐतिहासिक धरोहर सूतियांबे पहाड़ पर किये जा रहे धार्मिक - सांस्कृतिक अतिक्रमण एवं जमीन पर अवैध दखल-कब्जा के खिलाफ आदिवासी समुदाय की हजारों महिलाओं - पुरुषों, नौजवानों ने मुड़हर पहाड़ में आयोजित विशाल जनसभा का आयोजन किया गया। सुतियाम्बे मुडहर पहाड़ बचाओ अभियान समिति के मुख्य संयोजक लक्ष्मी नारायण मुंडा, एवं आदिवासी जन परिषद के केंद्रीय अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा जी जी थे। इस विशाल रैली और जनसभा में सैकड़ो आदिवासी संगठन सरना समिति से जुड़े लोग शामिल थे।

इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए सुतियांबे मुड़हर पहाड़ बचाओ अभियान समिति के मुख्य संयोजक लक्ष्मीनारायण मुंडा ने कहा कि देश भर में आरएसएस-हिंदूवादी संगठनों द्वारा आदिवासी इलाकों में बड़े पैमाने पर योजनाबद्ध तरीके से प्रकृति पूजक आदिवासियों की धार्मिक सांस्कृतिक प्रतिकों/स्थलों/ चिन्हों का अतिक्रमण किया जा रहा है। वहीं आदिवासियों की पहचान, अस्तित्व, विरासत, इतिहास को मिटाने की भरपूर कोशिश हो रही है। सुतियांबे स्थित मुड़हर पहाड़ इसका एक बड़ा उदाहरण है। सब को मालूम है कि जब सर्वत्र इलाका वनों से आच्छादित था तब सुतिया मुंडा अपने सैकड़ों मुंडा समूह को लाकर सर्वप्रथम इस गांव को बसाया था। यहीं से मुंडा शासन व्यवस्था की नींव रखी गई थी। इसी सुतिया मुंडा के वंशज मदरा मुंडा ने इसी मुड़हर पहाड़ से शासन व्यवस्था का संचालन किया और मुंडा साम्राज्य का संचालन के लिए खंड, परगना, पड़हा, गांव,टोला में शासन ईकाई को बांटा था। आज सुतियांबे की धरोहर को मिटाकर कर हिंदूवादी संगठनों द्वारा कब्जा करने की कोशिश किया जा रहा है।

इस जनसभा में पांच संकल्प-

1. हम सभी प्रकृति पूजक आदिवासी इस झारखंड के ऐतिहासिक पौराणिक गांव स्थित मुड़हर पहाड़ में शपथ लेते हैं कि हम आदिवासियों के लिए अलग सरना धर्म कोड की मांग को लेकर अपनी लड़ाई तेज करेंगे तथा आज से ही हम अपना धर्म- संस्कृति, रीति- रिवाज का दृढ़ता पूर्वक पालन करेंगे तथा किसी भी धर्म चाहे हिंदू, ईसाई, मुसलमान, सिख, बौद्ध, जैन या और भी कोई अन्य धर्म स्वीकार नहीं करेंगे।

2. हम सभी प्रकृति पूजक आदिवासी ब्राह्मणवादी व्यवस्था संस्कार रीति-रिवाजों को नहीं अपनाएंगे तथा अपनी परंपरागत आदिवासी रीति-रिवाज, संस्कारों को ही मानते हुए सभी तरह कर्मकांड पाहनों के द्वारा ही संपन्न कराएंगे।

3. हम सभी प्रकृति पूजक आदिवासी समुदाय प्रत्येक वर्ष इस मूड़हर पहाड़ में चैत्र पूर्णिमा को ही वार्षिक मेला का आयोजन करेंगे तथा समस्त मुंडा समाज और आदिवासी समुदाय यहां जूटेंगे।

4. हम सभी प्रकृति पूजक आदिवासी समुदाय आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में हमारे प्राकृतिक धरोहर जंगल, जमीन, पहाड़, नदी,नालों इत्यादि जगहों में जहां हम आदिवासियों की आस्था स्थलों/ प्रतीक चिन्हों को किसी भी धर्म,संगठनों-संस्थानों द्वारा मिटाने, कब्जा करने तथा धार्मिक/सांस्कृतिक और जमीन का अतिक्रमण किये जाने का पुरजोर विरोध करेंगे।

5. हम सभी आदिवासी समुदाय इस ऐतिहासिक पौराणिक गांव सुतियांबे में होने वाले सभी कार्यक्रम का आयोजन यहां के परंपरागत पड़हा समिति/सरना समिति/आदिवासी संगठनों/मुखिया/ स्थानीय पाहन अरविंद पाहन और पाहन परिवार को के द्वारा संपन्न करने के अधिकार सौंपते हैं। जिसमें हम सभी आदिवासी समुदाय के लोग भरपूर सहयोग करेंगे।

इसमें पांच प्रस्ताव लिया गया-

(A ) सुतियांबे स्थित मुड़हर पहाड़ की जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराया जाए।

(B) सुतियांबे स्थित मुड़हर पहाड़ पर आरएसएस - हिंदूवादी संगठनों द्वारा जबरन थोपी जा रही धार्मिक, सांस्कृतिक अतिक्रमण पर रोक लगाई जाए।

(C) सुतियांबे स्थित मुड़हर पहाड़ सहित वहां की अन्य पूजास्थल/प्रतीक स्थलों का चिन्हितीकरण करके घेराबंदी किया जाए।

(D) महाराजा मदरा मुंडा के नाम पर आदिवासियों की धर्म संस्कृति - संस्कृति, परंपरा , रीति-रिवाज की रक्षा और विकास के लिए एक बोर्ड गठन किया जाए।

(E) सुतियांबे स्थित मुड़हर पहाड़ और उससे जुड़े स्थलों- धरोहरों को आदिवासियों की धार्मिक - सांस्कृतिक स्थल राज्य सरकार द्वारा घोषित किया जाए। कार्यक्रम में उपस्थित झारखण्ड एवं अन्य राज्यों से भी लोग पहुंचे थे, आदिवासी केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की, धर्म गुरु बन्धन तिग्गा, दुर्गावती ओडोया, पाहन संघ के अध्यक्ष जगदीश पाहन, केंद्रीय सरना समिति भारत के नारायण उरांव, फुलचंद तिर्की, बाबूलाल मसली, बबलू मुंडा, डब्लू मुंडा, कुंदरेसी मुंडा, साधूलाल मुंडा, जगलाल पाहन, झरी मुंडा, सीताराम मुंडा, मनीष मुंडा, श्यामलाल पाहन, दिनेश मुंडा, और बहुत सारे लोग लोग उपस्थित थे।

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