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प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ट्राइबल सिनेमा ऑफ इंडिया ने जताया विरोध, समाधान नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी

 मांग पुरी नहीं होने पर, ट्राइबल सिनेमा ऑफ इंडिया पूरे झारखण्ड राज्य में सड़कों पर उतर कर आंदोलन कर सकता है 

विशेष संवाददाता दानिएल मुर्मू।

राँची (झारखंड): दिनांक 21/03/2024 को बीजू टोप्पो की अध्यक्षता में ट्राइबल सिनेमा ऑफ इंडिया से जुड़े क्षेत्रीय फ़िल्म, लघु फ़िल्म, एलबम व डोकोमेंट्री फिल्मों के निर्माण से जुड़े कलाकार, निर्माता, निर्देशक, फिल्मोग्राफर व टेक्नीशियन राँची के सत्य भारती सभागार(हॉल), डॉ कामिल बुल्के रोड, राँची में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा गठित फ़िल्म डब्लपमेंट कॉउन्सिल ऑफ झारखण्ड का विरोध प्रकट किया गया।

ट्राइबल सिनेमा ऑफ इंडिया का मानना है कि :-

1. जिस आधार पर सदस्यों का मनोनयन हुआ है, उसमे आदिवासी बहुल झारखण्ड राज्य के संकटग्रस्त भाषाओ में फिल्मों को बनाने वाले फिल्मकारों को अहमियत नहीं दिया गया है, यह राज्य के पॉलिसी के अनुरूप नहीं है अतः ऐसा नहीं होना चाहिए।

2. आदिवासी समुदाय से आने वाले और संवेदनशीलता से मौलिक फ़िल्म बनाकर देश विदेश में राज्य का नाम रौशन करने वाले फिल्मकारों का नाम सूचीबद्ध करने की औपचरिकता भी नही समझी गई।

3. तकनीकी रूप में फ़िल्म निर्माण, विपणन व प्रबंधन से सम्बंधित विषयो के अनुरूपकमिटी का गठन नही हुआ है।

4. फिल्मों के बेहतरीन विद्या वृतचित्र / डोकोमेंट्री फ़िल्म जिसका मौजूदा समय और भविष्य में शिक्षा शोध व मनोरंजन के रूप में विश्व में भारी माँग है उसे नजरअंदाज किया गया है।

ट्राइबल सिनेमा ऑफ इंडिया का मानना है कि झारखण्ड राज्य की स्थापना आदिवासी हितो की संवैधानिक सुरक्षा और विकास के लिए किया गया है, जिसके लिए आदिवासी समुदाय ने असख्य बलिदान दिए है। विरोध दर्ज कराने वाले पदाधिकारियों का कहना है, क्षेत्रीय आदिवासी समाज का अनदेखी करना बर्दास्त नहीं किया जाएगा। इसी बात को ध्यान में रखते हुए सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा अधिसूचना संख्या 06/बैठक(फ़िल्म)-4-06/2016 - 112 सूचना को रद्द किया जाए।

फ़िल्म डब्लपमेंट कॉउन्सिल ऑफ झारखण्ड के सदस्यों के चयन हेतु नियमो का पालन करते हुए सर्वथा उचित कमिटी के गठन किया जाए। जिसमें आदिवासी समुदाय के विकास व कल्याण से सम्बंधित विभाग और विशेषज्ञों की भागीदारी सुनिश्चित हो। सदस्यों में राज्य के सभी आदिवासी समुदाय और क्षेत्रीय भाषाओ के फिल्मकारों को स्थान मिले, ताकि सभी आदिवासी व क्षेत्रीय भाषाओं का संरक्षण, विकास और प्रचार प्रसार का उद्देश्य पूरा हो। ट्राइबल सिनेमा ऑफ इंडिया का यह मंच चाहता है कि उपरोक्त मांगो को झारखण्ड सरकार द्वारा इस विषय पर संज्ञान लेकर उचित माध्यम से यथाशिघ्र पूर्ण किया जाय। अन्यथा ट्राइबल सिनेमा ऑफ इंडिया पूरे झारखण्ड राज्य में सड़कों पर उतर कर आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।

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