मुख्य संवाददाता दानिएल मुर्मू।
रांची (झारखंड)। बड़े नाटकीय अन्दाज में आखिर विधायक सीता सोरेन भाजपा में शामिल हो गई। उन्होंने झामुमो के सभी प्रमुख पदों से यहाँ तक कि विधानसभा के सदस्यता से भी त्याग-पत्र दे दिया है। और सीधे दिल्ली स्थित भाजपा के राष्ट्रीय कार्यालय में पहुँच कर अपने दोनों सुपुत्री के संग पार्टी के पदाधिकारियों के मध्य सदस्यता ग्रहण किया। चौदह वर्षों का शुभ अवसर प्राप्त विधायक पर सवाल तो उठेगा, कि जामा विधानसभा क्षेत्र का कितना विकास किया ?
बताते चले कि जामा विधानसभा क्षेत्र में कहीं भी विधायक कार्यालय नहीं है, सारा काम विधायक प्रतिनिधि के भरोसे, उन्होंने कभी स्थायी रह कर अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन नहीं किया। पूर्व विधायक सीता सोरेन अभी तक गुरुजी शिबू सोरेन व स्वर्गीय दुर्गा सोरेन जी के नाम पर व पार्टी कार्यकर्ताओं के कठिन प्रयासों से जीतती आ रही थी। कहा जाय तो सीता सोरेन के विधायक बनने में उनका कोई योगदान नहीं है, यही कारण है कि वह हमेशा परिवार व पार्टी में हाँशिए पर रही है।
जामा विधानसभा क्षेत्र के झामुमो के कार्यकर्ता ठगे से महसूस कर रहे है। सीता सोरेन के इस निर्णय ने क्षेत्रीय मतदाताओं को विभीषण याद दिला दी। वह स्पस्ट रूप से जानती है कि उनके विधानसभा क्षेत्र में भाजपा दूसरा स्थान रखती है। और इन क्षेत्रों में सक्षम नेतृत्व को पनपने नहीं दिया गया, ऐसे अवस्था में स्वयं को अजय पाती है। देखना है कि हमारे पूर्व विधायक सीता सोरेन का निर्णय कितना सही हैं ? क्या झारखण्ड की जनता ख़ास कर जामा विधानसभा क्षेत्र की जनता उनके नए स्वरूप को स्वीकार कर पाएंगे ?