गंधवानी (धार)। आदिवासी भील जनजाति के गढ़ धार झाबुआ अलीराजपुर क्षेत्र में होली पर्व को खास बनाते है यहां के अनोखे भगोरिया हाट, लेकिन एक और चीज़ है जो होली पर्व को यहां खास बनाती है वह है यहां के लोगों द्वारा हाथ से बनाई जाने वाली सेवईयां।
गंधवानी क्षेत्र मे भगोरिया हाट के ख़त्म होते ही लोग होली पर्व की तैयारियों मे जुट गये है। इसी कड़ी मे आदिवासी अंचल मे हाथ से सेवईयां बनाने का दौर भी शुरू हो गया है। गावों मे पेड़ो के नीचे बैठे सेवईयां बनाते लोग जगह जगह नज़र आ रहे है। पिछले 8-10 सालो की अपेक्षा मे देखे तो अब थोड़ा हाथ से सेवईयां बनाने का प्रचलन कम जरूर हुआ है लेकिन फिर भी ज़्यादातर लोग अब भी हाथ से ही सेवईयां बनाते है। कम सुविधाओं मे अपना जीवन यापन करने वाले आदिवासियों के जीवन मे होली पर बनने वाली हाथ से बनी यह सेवईयां मिठास घोल देती है। बाजारों मे कई प्रकार की मशीनों से बनी सेवईयां आसानी से आज बाजारों मे यूं तो उपलब्ध है, बावजूद इसके आदिवासी लोग अपने हाथों से खेतों मे पकायें गेहूं से हाथ से सेवईयां बनाकर खाना पसंद करते है।
आधुनिकता से थोड़ा दूर रहने वाले आदिवासी ज्यादातर प्रकृति के नजदीकी रहते है और प्रकृति पर ही निर्भर रहते है। नयी फसल आने के बाद धान, सेवईयां, चावल पूजा के लिये उपयोग किये जाते है।